मन वो ही, हम वो ही, वो ही रूह है ॥
फिर भी साल बदलने के साथ ही
सूरत ऐ हाल बदलने का दिल करता है
नयी उम्मीदों और नए सपनो को पंख लग जाते है
बुरे अहसासों को भूल जाने का दिल करता है ॥
कुछ ज्यदा बदलने वाला नहीं है
घडी के काटों और कलेंडर के पन्ने बदलने से
फिर भी आँखों में नए ख्वाब से क्यों है ?
क्या खोया क्या पाया इस का हिसाब क्यों है?!!
चलो ढलते हुए सूरज के साथ हम भी अपनेबुरे वक़्त को छोड़ चले पीछे ॥
और आने वाले साल मै कुछ नयी खुशियों का स्वागत करे
आज हमारा भी मन पुराणी बोटेल में नयी शराब सा क्यों है ?
क्या खोया क्या पाया इसका हिसाब क्यों है ?
हैप्पी न्यू इयर २०१०
2 comments:
हैप्पी न्यू इयर २०१०
behtreen..........
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