Followers

Thursday, October 27, 2011

दिल जली दिवाली


वो दोस्तों के साथ मनाता रहा जश्न सारी रात ,
मैं करवट बदल के रात बिताती रही
उसे पसंद था अँधेरा.... ताउम्र " विजय " ,
मैं एवई दीप जलाती रही ||

वो बांटता रहा खुशियाँ, गेरों के साथ दिवाली की
मैं खुद से ही, दिल को मनाती रही ||
वो करता रहा रोशन, गैरों के दीये
मैं यहाँ अकेले , अपना दिल जलाती रही ||
होगी लोगों के लिए खास, यह अमावस की रात
मैं तो हर रात, अमावस मैं बिताती रही ||

जिसें दिया था हक़,सात जन्मों का मैंने
वो एक दिन के लिए भी, मेरा हो ना सका |
वो लुभाता रहा, किसी और को अपने प्यार से
मैं शादी की तस्वीरों से, खुद को लुभाती रही ||

मेरे दिल का दीया बुझ गया
तेरे प्यार की कमी से , कब का |
मै सिर्फ रस्म निभाने के लिए
त्यौहार बनाती रही ||
उसे पसंद था अँधेरा.... ताउम्र " विजय " ,
मैं एवई दीप जलाती रही ||

Thursday, October 20, 2011

माँ मज़बूरी


माँ की दवाई का खर्चा, उसे मज़बूरी लगता है
उसे सिगरेट का धुंआ, जरुरी लगता है ||

फिजूल में रबड़ता , दोस्तों के साथ इधर-उधर
बगल के कमरे में, माँ से मिलना , मीलों की दुरी लगता है ||
वो घंटों लगा रहता है, फेसबुक पे अजनबियों से बतियाने में
अब माँ का हाल जानना, उसे चोरी लगता है ||

खून की कमी से रोज मरती, बेबस लाचार माँ
वो दोस्तों के लिए, शराब की बोतल, पूरी रखता है ||
वो बड़ी कार में घूमता है , लोग उसे रहीस कहते है
पर बड़े मकान में , माँ के लिए जगह थोड़ी रखता है ||

माँ के चरण देखे , एक अरसा बीता उसका ...
अब उसे बीवी का दर, श्रद्धा सबुरी लगता है ||
माँ की दवाई का खर्चा, उसे मज़बूरी लगता है
उसे सिगरेट का धुंआ, जरुरी लगता है ||

Sunday, October 16, 2011

मै तेरे शहर में नया हूँ ...|

मै तेरे शहर में नया हूँ
इसकी आबो हवा में, मुझे घुल जाने दे
मैं खुद से, खुद का, पता जानने निकला हूँ
मुझे किस्मत को आजमाने दे ||

सुना है अलग है तेरा, शहर मेरे शहर से
पर चाँद और सूरज का ठिकाना तो वोही है ?
लोग होंगे पराये , परवाह किसे है ?
मुझे चाँद सूरज से ही, रिश्ते निभाने दे ||

मै तेरे शहर में नया हूँ
इसकी आबो हवा में, मुझे घुल जाने दे ||

बड़े तहजीब का शहर है तेरा
यहाँ "सर" कह कर लोग, घर में घर कर लेते है
मुझे भी सर छुपाने के लिए, इक सर बनाने दे ||

मै तेरे शहर में नया हूँ ..
इसकी आबो हवा में, मुझे घुल जाने दे ||

तेरे शहर के लोग बड़े अजीब है...
अपनों से दूर है , अजनबियों के करीब है॥||

यहाँ तारुफ़ करने का, तकल्लुफ कोई नहीं करता...|
क़ानून को हाथ में लेने से भी कोई नहीं डरता |
क्यूंकि जिस की जेब मैं जितना पैसा, उतना वो शरीफ है |
गरीबी का जुर्म माथे पे मेरे भी, अबकी मुझे भी शराफत कमाने दे ||

मै तेरे शहर में नया हूँ
इसकी आबो हवा में, मुझे घुल जाने दे
Related Posts with Thumbnails