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Tuesday, July 27, 2010

क्या है माँ:

एक खूबसूरत अहसास है- माँ
हर मुश्किल में हमारा विश्वास है- माँ

हमारे लिए सारी दुनिया है- माँ

क्यूँकि, बच्चों के लिए खुशियाँ है- माँ

जिसकी गोद हर गम से निजात दिलाती है, वो है- माँ

मेरी हर तकलीफ में याद आती है मुझे- माँ

मेरे सिर पर हाथ रखकर, राहत देती है- माँ

इस मतलबी दुनिया में जिसे कोई मतलब नही , वो है – माँ

धरती पर खुदा का दर्शन है – माँ

दोगली दुनिया में सच्चा दर्पण है – माँ

मंज़िलों के लिए मैं नही जीता, मेरा रास्ता है- माँ

खुदा का भेजा हुआ, एक फरिश्ता है- माँ

सच तो ये है की तुम क्या हो माँ,

मैं लिख नही सकती , बता नही सकती ………………….. माँ

Thursday, July 15, 2010

भारतीय पासपोर्ट ऑफिस = अंधेर नगरी चोपट राज ..



भारतीय पासपोर्ट जिसे बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है , काफी जद्धोजहद के बाद ही आप भारतीय पासपोर्ट पा सकते हैं ॥ लेकिन जिस तरह भारत के तमाम सरकारी ऑफिसों की हालत है वैसी ही दशा यहाँ के पासपोर्ट ऑफिस की भी है , ये लोग कितना गंभीर है अपने काम को लेकर के इस का पता आप को ये पासपोर्ट देख के लग गया होगा , जरा गोर कीजिये इस पासपोर्ट पे और इसकी जन्मतिथि देखिये जो है ०२/०३/२०१० ॥
यह पासपोर्ट है अजमेर निवासी रोनक सोगानी का है ....उन्होंने ०२/०३/२०१० को पासपोर्ट के लिए आवेदन किया था
लेकिन पासपोर्ट कार्यलय ने पासपोर्ट जारी करते समय यह देखना भी उचित नहीं समझा की फोटो किसी २ महीने बच्चे की है ? पासपोर्ट पे विदेश मंत्रालय की सिल( स्टंप) है और अधिकारी के हस्ताक्षर है जिसे देख के पता चलता है की कितनी अंधेर नगरी है भारतीय पासपोर्ट कार्यालय जयपुर में ॥
यदि मान भी लिया जाए की किसी नाबालिग को पासपोर्ट जारी किया गया है तो क्या पासपोर्ट ऑफिस ने इसके साथ लगने वाले सभी दस्तावेज देखे ? और क्या पासपोर्ट ऑफिस में इतनी अंधेर नगरी है की वो लोग इसको ऐसे ही जारी कर देते है और यदि ऐसे ही जारी करना है तो किस बात के लिए ४५ से ६० दिन लेते है ?
इस पासपोर्ट को देख के आप सोच ही सकते है की क्यों भारत इतना सोफ्ट टार्गेट है आतंकवादियों का क्यूकी यहाँ के सरकारी कर्मचारियों को खाली महीने के शुरुआत मे अपना वेतन गिनने और दिन भर ऑफिस मे चाय की चुस्की लेने के अलवा कोई काम नहीं है ॥
उन्हें बस आँख मूँद के हस्ताक्षर करने है नहीं देखना है की ये पासपोर्ट किसे जारी हो रहा है क्यों जारी हो रहा है और उसमे क्या लिखा है उससे उन्हें कुछ मतलब नहीं है ....
इसी लिए किसी ने सही कहा है १०० मे से ९० बेईमान फिर भी मेरा भारत देश महान ॥

Monday, July 12, 2010

मेरा बचपन


बचपन का ज़माना होता था ,खुशियों का खज़ाना होता था .
चाहत चाँद को पाने की ,दिल तितली का दीवाना होता था .
खबर न थी कुछ सुबह की ,न शामों का ठिकाना होता था ।

थक हार के आना स्कूल से ,पर खेलने भी जाना होता था .
दादी की कहानी होती थी ,परियों का फ़साना होता था .
बारिश में कागज की कश्ती थी ,हर मौसम सुहाना होता था ।

हर खेल में साथी होते थे ,हर रिश्ता निभाना होता था .
पापा की वो डांट पर मम्मी का मनाना होता था ॥

गम की जुबान न होती थी ,न ज़ख्मो का पैमाना होता था .
रोने की वजह न होती थी ,न हसने का बहाना होता था ॥
अब नहीं रही वो जिंदगी ,जैसे बचपन का ज़माना होता था ....

लूट सके तो लूट भारतीय रेल का नया फंडा

भारतीय रेल कहने को आम जन के लिए है लेकिन इस के बदलते स्वरुप आम जन को कितना रास आ रहें
और आम जनता को कितना पता है इसके बारें में वो भगवान ही जानता है .... लेकिन आम जनता की आँखों में धुल झोंक कें उनकी पसीने की कमाई को भारतीय रेल बड़ी हुशियारी से अपने जेब में भर रही है ॥
हम ने आज जाना किस तरह से लूटा है इन्होने हमे वो भी बड़े प्यार से ......... देखिये आप भी और सावधान हो जाएँ भारतीय रेल से ....


यह टिकिट है जो बुकिंग खिड़की से लिया है यात्रा की तारीख १८/७/१० ट्रेन नंबर ६२०९ अजमेर से मिरज तक का इसका किराया लगा है १११६/- रुपये ॥

आप को लगेगा की इसमे क्या है ? तो जरा निचे नज़र घुमाइए और देखिये ये है e- ticket उसी तारीख का , उसी जगह का

लेकिन इसमे किराया है ११०१/- रुपये ! इसका मतलब है की भारतीय रेल आप को फायदा दे रही है क्युकी आप उनकी बुकिंग विंडो पे नहीं गए उनके कर्मचारियों को तकलीफ देने !!इसी लिए १५/- का डिस्काउंट आप को... हमे ये बात कुछ हजम नहीं हुई की आखिर क्यों नेट से टिकिट निकलने वालो पे सरकार इतनी मेहरबान है ?
जबकि लाइन में लग कें अपना समय बर्बाद कर के पसीने में भीगते हुए हमने ये टिकिट बनाया और हम से ही सरकार ज्यादा पैसे वसूल कर रही है ?
आखिर क्यों? हमारी गलती क्या है ?
क्या भारतीय रेल में सफर कर रहें है यह हमारी गलती है ?
या हमे इन्टरनेट से टिकिट बनाना नहीं आता ये हमारी गलती है ?
जी नहीं !! ये ज्यादती है भारतीय रेल की ... किस तरह आम जनता को बेवकूफ बना कर के उनसे पैसे वसूलना है वो कोई भारतीय रेल से सीखे !!
काफी सर्च करने के बाद हमे पता चला की भारतीय रेल जो कहने को तो आम जन के लिए है लेकिन उसे टिकिट खिड़की से टिकिट निकलने वाले की कोई परवाह नहीं है ..... इसी लिए उन्होंने एक स्पेशल टेक्स लगाया है जिस को नाम दिया गया है Enhanced Reservation Fee
इस का मतलब है की यदि आप को मुंबई से अजमेर का टिकिट लेना है और आप ये टिकिट कोल्हापुर रेलवे स्टेशन से ले रहें है तो आप को भारतीय रेल को १५/- रुपये पेनेल्टी देनी पड़ेगी क्युकी ये आप की गलती है की आप ये टिकिट यहाँ से निकल रहें है और आप को e- ticket बनाना नहीं आता ॥
आप कह सकते है भारतीय रेल भी बालासाहब ठाकरे से प्रेरित हो गयी है जैसे वो पर प्रांतीयो से खफा है वैस ही भारतीय रेल भी यदि आप गंतव्य स्थान से टिकिट नहीं बना रहें तो आप से खफा है ॥
हम तो बस इतना ही कहेंगे की भारतीय रेल की नयी नीति यही है :-
लूट सके तो लूट और अंत काल पछतायेगा प्राण जायेंगे छुट !!

आप भी सावधान हो जाइए आगे से भारतीय रेल में सफर करने से पहले .....

Friday, July 9, 2010

अनजाना हमसफ़र


सब लोग तेरी ही तलाश में है .....
तू दूर है .....या तू पास में है ........?
तेरे आने से मेरी दुनिया बदल जायेगी
इतना तो बता दे तू कब आएगी... ?
अपने जमीं पे होने का कुछ अहसास तो दें .....
मुरझाये फूलों को फिर से खिलने की आस तो दें
तेरी कमी मुझे यूँ खल रही है ....
की ख़ुशी में भी गम की एक झलक मिल रही है॥
तुझे पाने की चाह में मंदिर- मस्जिद सब जगह हो आयें है
हाथ की लकीरों ने भी तेरे सपने दिखाए है .....
हमसफ़र तू है कहाँ ....कब तक में अकेला चलता रहूँ राहो पे ... ??
क्या हिचकी नहीं आती तुम्हे ..दिल से निकली मेरी आह़ो पे ?
तू मेरी जिन्दगी का आधा हिस्सा है ...अभी तक बस कहानी है किस्सा है
तेरी तस्वीर मुझ से बनती नहीं है न ही तुझे शब्दों में उतार पाया हूँ
पर महसूस किया है तुझे
बारिश कि बूंदों में और बागो के झूलों में
हर
उगते दिन और हर ढलती शाम के साथ....
जोड़ना चाहता हूँ में अब नाम तेरे नाम के साथ ..

Sunday, July 4, 2010

भारत बंद


तेल महंगा शक्कर महंगी दाल रोटी सब कुछ हो गया महंगा
लगाम लगे न सरकार से दिखा रही वो ठेंगा ॥
और विपक्ष ने अपनी ही राग लगायी है
बंद करो बंद करो भारत .....छाई महंगाई है
सुबह से हर न्यूज़ चेनल पर दिखा रहे है आज भारतबंद है
मुझे समझ नहीं आता यार भारत कोई कोलगेट है की उसका ढक्कन बंद कर दिया और वो बंद हो गया ?
और बंद में कोन सा दरवाजा बंद हो गया ?
क्या गरीब के घर आज भूखमरी नहीं आएगी ? क्या रोज कमा के खाने वालों को आज पेट की चिंता नहीं सताएगी ?
क्या एक माँ अपने भूख से बिलखते बच्चे का मुंह कर सकती है आज बंद ?
और बंद करने वाले जिस मकसद से बंद करा रहे है आज वो उसी महंगे तेल को ज्यदा जला रहे है॥
एक दिन में अरबो का नुकसान... लोगो को नहीं मिल रहा जरुरत का सामान
दोनों ही राजनितिक पार्टियाँ अपनी अपनी रोटियां सेंकने में लगी है
भारत की भोली जनता नेताओं के हाथों हमेशा ही ठगी है ॥
कुछ बंद करना ही है तो भ्रष्टचार बंद करो गरीब पे हो रहे अत्याचार बंद करो ॥
व्यर्थ बह रहा पानी बिजली इस को बंद करो ..........
गुजारिश है कुछ आप बदलो कुछ सरकार बदलें
समय काटना मुशिकल हो जाता है.....
सो ऐसे बंद कर के हमे तंग न करो ॥
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