Followers

Sunday, July 28, 2019

ज़िन्दगी

ज़िंदगी

जिंदगी दुनिया कि पटरी पर दौड़त हुयी एक रेलगाड़ी है जिसमे समय समय पर कई किरदार शामिल होते है और अपने गंतव्य पर उतर कर चले जाते है।


कई बार जिंदगी परियों की कहानी जैसी लगती है,
कई उतार-चढ़ाव के बाद एक सुखद अंत मे बदलती  हुई।


कभी सुगंधित फूल की तरह कोमल
तो कभी कठोर चट्टान के जैसे
सारे तुफान का सामना करते हुए।


कई बार सूर्यास्त की तरह सुंदर जिंदगी
पल मे गहरी रात मे तब्दील हो जाती है,


तो कई बार इंद्रधनुष सी रंगीन जिंदगी
पानी की तरह बेरंग मिलती है।


उलझी सुलझी, सुलझी उलझी


गिरती- उठती, आगे बढती।


बस बढते ही जाने का नाम है जिंदगी।।

शुभम् .


Monday, July 22, 2019

भोले बाबा

भोले बाबा

 गजानन पंडित भोले बाबा के अंधभक्त थे। भोले बाबा के मंदिर के पास ही अपनी छोटी सी कुटिया बना रखी थी। दिन उगने से पहले ही अपनी दैनिक क्रिया से निर्वित्त हो वे भोले बाबा की सेवा में लग जाते। रोज की तरह पूजा की सामग्री ले ज्यों ही गजानन पंडित भोले बाबा के समीप जाकर बैठे, देखा कि बाबा की जटाओं से बूंद बूंद कर पानी रिस रहा है ऊपर नीचे चारों और अच्छी तरह से देखा कहीं से पानी तो नहीं टपक रहा, पर चारों और तो सूखा पड़ा है ,हालांकि महीना सावन का है।

              घबराकर पंडित जी घर की ओर भागे और अपने बड़े बेटे चौमुखानंद को पकड़ लाए और कहने लगे "देख तो जरा यह भोले बाबा के ऊपर पानी कहां से गिर रहा है।"

 16 साल के चौमुखानंद आधी नींद में आंख मलते हुए छत की ओर देखते हुए बोला "बाबूजी समझ में नहीं आ रहा।"

 "अरे ठीक से देख ना " पंडित जी ने डांट कर बोला।

बाप बेटे का संवाद चल ही रहा था कि बुढ़िया अम्मा का मंदिर में प्रवेश हुआ।

"का हुआ गजानन काहे खिसिया रहे हो" अम्मा ने लाठी टेकते हुए पूछा।

"अरे अम्मा यहां आओ जल्दी देखो शिव जी के जटा से पानी गिर रहा है" पंडित जी एक सांस में बोल गए।

"ई तो चमत्कार है गजानन साक्षात गंगा जी निकली है"

"हमको भी यही लग रहा अम्मा"

अचानक बाहर से भोले बाबा के जयकारे की आवाज आने लगी। पंडित जी को समझते देर न लगी कि चौमुखानंद ने नारद जी का काम कर दिया है।

आनन-फानन में पंडित जी ने शिवजी पर फूल माला चढ़ाया टीका आदि लगाकर मंदिर का द्वार खोला।

अब तक सैकड़ों लोगों की भीड़ मंदिर के बाहर लग चुकी थी। कुछ नौजवान व्यवस्था बनाने में लगे हुए थे। एक-एक करके श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर भेजा जा रहा था। श्रावक गण भक्ति भाव सहित भोले बाबा के दर्शन करते और जटा से निकलती गंगा अपने साथ लाए पात्रों में बटोरने का प्रयास करते। जल्द ही मीडिया वालों को भी पता चल गया। अब वहां श्रद्धालुओं के साथ साथ एक लाइन मीडिया वालों की भी लग गई। सभी अपना कैमरा माइक संभाले टीआरपी बढ़ाने की होड़ में लग गए। पलटू ने भी जूता चप्पल संभालने का एक काउंटर लगा लिया और उसके बाजू में बच्चू ने गुमशुदा बच्चों की अनाउंसमेंट का जिम्मा संभाल लिया। एक कोना चाट पकौड़ी और गुब्बारे वालों ने भी पकड़ लिया। 

पंडित जी के मुंह में तो सुबह से एक निवाला भी ना पड़ा था। पांच छह बार दान पेटी खाली कर चुके थे। शाम हो चली थी लोगों का आना थम ही नहीं रहा था। इतने में खबर आई कि गृह मंत्री जी आ रहे हैं दर्शन करने। पंडित जी गृह मंत्री के स्वागत तैयारी में लगे थे इसी बीच उनकी गृह स्वामिनी के चिल्लाने की आवाज आने लगी " क्या बात है आप सोते पड़े रहोगे क्या मंदिर का घंटा बजने लगा है चौमुखानंद आज तुमसे पहले मंदिर पहुंच गया सावन का पहला सोमवार है अब उठ भी जाओ। "

शुभम्.

Related Posts with Thumbnails