किसी अजनबी को दिल में बसाना क्या है
कोई हम से पूछे
उसकी यादों में ख़ुद को भुलाना क्या है
कोई हम से पूछे
दिल फ़िर टूट के बिखर गया तो क्या
उन टुकडो को चुन कर नए अरमान बनाना क्या है
कोई हम से पूछे
किसी के दूर होकर भी पास होना क्या है
कोई हम से पूछे
न उम्मीद होकर भी इंतज़ार करना क्या है
कोई हम से पूछे
दिल की बाज़ी हार गए तो क्या
अपना सब कुछ खोकर भी मुस्कुराना क्या है
कोई हम से पूछे
होठो को सिल कर सब कुछ सहना क्या है
कोई हम से पूछे
अपने अश्कों को पी कर दुसरो को हँसाना क्या है
कोई हम से पूछे
खुदा से गिला करे भी तो क्या
उसकी हर रजा में सर को झुकाना क्या है
कोई हम से पूछे
7 comments:
INTERESTING POEM....
wah wah kya likha hai
koi hum se puche :P :D :)
waah ji waah...
aapki poem kitni khoobsoorat hai
yeh sab aapke comments se poochhe... :)
वाह!सुन्दर प्रस्तुति....बहुत ही अच्छी लगी ये रचना.....
कोई हम से पूछे
होठो को सिल कर सब कुछ सहना क्या है
कोई हम से पूछे
अपने अश्कों को पी कर दुसरो को हँसाना क्या है..
सही है. ये तो अपने अपनों की बात है. अच्छा लिखा है.
Achhi rachna lagi. Likhate rahiye.
Subhkamna
i thought ... mother teresa is no more
when she reincarnated ???
:-)
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