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Sunday, June 16, 2019

सौभाग्य

सौभाग्य

छल्ली कर अपने सीने को दे दी कुर्बानी जान की,

सुनो सुनाऊं मैं कहानी उस वीर के बलिदान की।


नटखट था लला मेरा वो, इधर उधर छुप जाता था,

खोज खोज जब तक जाती मैं दूर खड़ा मुस्काता था।


अभी भी मानो जा छुपा हो कहीं किसी के आंगन में

झट आकर के झूल जाएगा अपनी मां के बाहों में।


गांधी भगत के किस्से उसको भाते बहुत थे बचपन में,

उन्हीं जैसा वीर बनूंगा कहता रहता हरदम से।


सपनो को सच करने अपने जा भर्ती हुआ सेना में,

युद्ध छिड़ी सरहद पर जा तैनात हुआ फिर वो झट से।


मार गिराए दुश्मन को ना जाने कितने कितनो को,

आंच ना आने दी भारत पर डटा रहा जवान वो।


थक गया जब गिर पड़ा  वो भू पर  हो कर शांत,

मां पुकारा था शहीद ने वो ही अंतिम बार।


आज ले रही परमवीर चक्र मैं उसके ही नाम का,

है मेरा सौभाग्य बनी मै ऐसे पुत्र की मां।।


शुभम् .


4 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार जून 18, 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Shubham Jain said...

धन्यवाद ।

अनीता सैनी said...

बेहतरीन सृजन आदरणीय
सादर

Shubham Jain said...

धन्यवाद

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