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Sunday, May 25, 2014

Pyar-ek saza

प्यार के एहसास से , उसके हर जज़्बात से नफरत है 
इश्क़ के गवाह हर इक गुलाब से नफरत है 
साथ जो बिताये तेरे हर इक पल की कसम 
अब उस वक़्त का ख्याल से नफरत है 
बेरुखी को तेरी अदा मान मोहब्बत की हमने 
खुद को सज़ा देने के इस अंदाज़ से नफरत है 
दर्द-ए-इश्क़ की इन्तहा ही है शायद कि 
आज हमे अपने आप से नफरत है.। 

5 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना मंगलवार 27 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

EKTA said...

shukriya

विभूति" said...

दिल को छू हर एक पंक्ति....

संजय भास्‍कर said...

वाह-वाह क्या बात है। बहुत ही उम्दा रचना।

Unknown said...

visit me to read :गुज़ारिश ...

http://rahulpoems.blogspot.in/2014/06/blog-post.html

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