ये जिन्दगी ...
जो कभी कहानी तो कभी गजल रही है ..!
कभी मछली सी ...
हाथो में है , जीने के लिए मचल रही है !!
कभी गीली साबुन सी ..
पकड़ना चाहो तो भी फिसल रही है !
कभी थक कर बैठ रही , कभी ख़ुशी से उछल रही है
ये जिन्दगी जो हर पल बदल रही है ...
जितना जीया इसे, उतना हाथ से निकल रही है !
ओनी पोनी जिन्दगी ,
आधा इंच ख़ुशी और एक इंच गम के बीच चल रही है ..
गिर रही है संभल रही है !!