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Monday, April 12, 2010
जिन्दगी की किताब
मेरी जिन्दगी की किताब में कुछ पन्ने ऐसे जुड़े है ....जिन को मेरे अपने पढ़ के भी नही समझ पाये !!
और गेरों ने दूर से देख के ही जिन को समझ लिया ....
कोन कहता है खून के रिश्ते दिल के सब से ज्यादा करीब होते है ....
इस दुनिया में जिन के दोस्त नही है आप से ......वो लोग सब से ज्यादा गरीब होते है !!
आप ने उन पन्नो को पढ़ा ही नही है ..समझा है और दिल में उतारा है ...
और अपनी भावनाए भी जोड़ी है उन पन्नो के साथ ...
वो पन्ने जिन को देखना भी अपनों का नही गवारा है ॥
आप ने अपने प्रेम से उन को सवांरा है !!
वो पन्ने कूड़ा या रद्दी बन जाते अगर आप उन को नही अपनाते ॥
आप ने उन को संभाला है बचाया है दीमक लगने से और आंधियो में भी उन्हें नही उड़ने दिया
एक एक पन्ने को प्यार से जोड़ा है .... एक किताब बना दी है उनकी
ऐसी किताब जो जिन हाथो में जायेगी ...तारीफ़ ही पाएगी
दुःख तो है ये की जिस ने इन पन्नो की किताब बनाई है .....उस का नाम तक नही है इस पे कही !!!
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विजय पाटनी
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9 comments:
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ritely said...
meri b zindagi ki kuchh yehi kahaani hai...
yeh zindagi ki kitaab bahut pasand aayi....
aane waali rachnaon ka intzaar rahega.....
mere blog par is baar..
वो लम्हें जो शायद हमें याद न हों......
jaroor aayein...
बढिया लिखा गया........"
bahut sundar kavita,...vah.
mere blog par is baar..
नयी दुनिया
jaroor aayein....
Wah! bhut khoob likha hai ekta aapne
--------kabile tareefhai aapki yah rachna.
poonam
यही तो मुश्किल है.....बड़े बदलते नहीं.....जिदगी में सब कुछ होते हुए भी अधिकार नहीं छोड़ना चाहते ...तो कहीं जो बदलने की कोशिश करते हैं उन्हें नई पीढ़ी बदलने नहीं देती....ताने दे दे कर जीना मुहाल कर देती है
ये दुधारी तलवार है....दोनो पक्षों को सोचना होगा..
वैसे क्या यहां ब्लॉग पर लिखी रचनाओं की बात की है आपने .....
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