ये कविता खास उन लोगो क लिए जो किसी से प्यार करते हैं और वो भी एकतरफा॥
या फिर वो जिससे प्यार करते हैं उन्होंने अपना इज़हार-इ-इश्क नहीं किया है॥
होंठो पे ना ,दिल में हाँ,
ये तो प्यार का दस्तूर है।
लाख छिपाया मगर आँखे कर गयी सच बयां,
तो इस में हमारा क्या कसूर है॥
एक वो हैं की जान कर भी अनजान बने हैं,
गुरूर है खुद पे या प्यार नहीं हमसे
जाने किस बात पे तने हैं॥
शायद गलती हमारी ही है,
जो बिन सोचे समझे प्यार किया
लायक नहीं हैं हम उनके,
जिन्हें ये दिल दिया॥
पर एहसास तो हमे भी हुआ था ,
की वो पसंद करते हैं हमे
ग़लतफहमी थी या वो सताना चाहते हैं हमे॥
ये कैसी कशमकश है,ये कैसा प्यार है,
कह दो अगर कुछ दिल में है।
हमे तो बस सुनने का इंतज़ार है॥
8 comments:
excellant
बहुत सुन्दर रचना .....भावों से पूर्ण .........एक तरफ़ा प्यार अक्सर दर्द देता है....लेकिन इस प्यार में भी दर्द का असर नहीं होता .
गुरुर है खुद पे वाली बात कमाल है.. लव इगो को चतुराई से इस कविता में डाल दिया है.. बहुत सही.!
behtareen rachna.
ekta ji, ektarfa pyar ki bhi importance hai.......vo bachchan sahab ne bhi to kaha haina..."hridaya dekar hridaya paane ki aasha vyarth lagana kya"!!!
बहुत सुन्दर रचना .....,
वाह वाह वाह वाह .... हमारी भी यही हालत हूई पर कह देते तो ..... तो .... खैर जो हो न सका उस पर क्या कहें....
पर एक बात से असहमत हूं
हम तो लायक थे
बस वो ही समझ नहीं सके
जो हमें लायक समझते थे
उन्हें हम न समझ सके
हीहीहीहीहीही
बहुत खूब प्यार को शब्दों से सवारा है
अकेले-अकेले प्यार करने का अपना ही मज़ा है जिसमे प्रेमी दोनों तरफ से सोच लेता है....बहुत सुन्दर शब्दों से सजाया है कविता को आपने....."
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