एक कोशिश की थी अपने प्यार को भूल जाने की,
उसके साए से निकल अपनी पहचान बनाने की,
लाख बहाने बना दिल को समझाया भी था,
और यादों को एक एक कर मिटाया भी था,
नयी शुरुआत की थी एक उम्मीद के साथ,
की मंजिल मिलेगी अब रास्ते के साथ
दो कदम अभी बढे ही थे की ऐसी ठोकर लग गयी,
जहाँ से चलना शुरू किया मैं फिर वहीँ पे आ गयी,
एक खबर जो सुनी उनकी तो दिल फिर धड़कने लगा,
याद करते हैं वो हमें हर पल,ये सुन तड़पने लगा
दोराहे पर आकर खड़ी हो गयी है जन्दगी अब,
एक ओर जाना मुश्किल तो दूसरा बेहिसाब सा है अब....
6 comments:
kuch adhure rishto ko bhul jaana hi behter hota h
pata hi h ki dil h bahut rota h
par apne dkehne ka andaaz badlo
koi or bhi h jo aap ke liye apni khusiyo ke dwar khol ke baitha h :)
nice :)
narayan narayan
achchi rachna...likhte rahiye..
bahut khoob ........bhavnao ko vyakt kerti hui rachna .
sunder bhaav...
"उसके साए से निकल अपनी पहचान बनाने की"
........
एक ओर जाना मुश्किल तो दूसरा बेहिसाब सा है अब...."
असमंजस की स्थिति में समझदारी अति आवश्यक है. सार्थक प्रयास - शुभकामनाएं
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