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Tuesday, June 30, 2009
नारी भाग प्रथम
कल अनायास ही रामायण का आखरी भाग देखने को मिला
सही था सीता की कहाँ कुछ गलती थी जो उस को हर बार
एक नई परीक्षा देनी पड़ी ?????
आज भी देखा जाए तो कुछ बदला नही है
आज भी हर लड़की को हर कदम पे परीक्षा ही देनी पड़ती है
उसके पैदा होने से ले कर उस के मरने तक कितनी बार उसको इम्तिहान के दोंर से गुजरना पड़ता है
शायद ही कोई राम उस के मन की बात उस की व्यथा का अंदाजा लगा सके !!
पैदा हुई जब लड़की घर वालो के मुंह लटक गए
मिठाई के डब्बे ख़बर सुन के रास्ते में ही अटक गए ॥
शायाद ही किसी के दिल से आवाज़ आई की लक्ष्मी आई है
बाप का मुंह ऐसे लटक गया जैसे आज ही सभी खुशिओं की विदाई है॥
जब से चलना शुरू किया शुरू हो गई टोका टोकी
दादी बोली पढ़ के क्या करेगी ये घर में ही चोखी ॥
किताबो से ज्यादा इसने अपने छोटे भाइयो को संभाला है
उनको खिलाये बिना कभी नही उतरा हलक से निवाला है ॥
जो हुई थोडी सयानी....तो भी न कर सकी अपनी मनमानी
जानती थी अपनी ख्वाहिशों को फिर भी रही उनसे अनजानी ॥
सब के लिए जीवन जीते बचपन पीछे छूट गया
उठी डोली बाबुल के घर से ऐसे ,जैसे जीवन की डोर का एक हिस्सा टूट गया॥
इसकी जिन्दगी एक पतंग सी नज़र आती है
पतंग तो वो ही रहती है बस उडाने वाले की सूरत बदल जाती है ॥
सब की खुशियों के लिए कर दिया अपना जीवन अर्पण
जिमेदारियों का बोझ बढता गया पर चहरे पे नही आने दी शिकन ॥
नारी की बस यही कहानी
आँचल में नीर अंखियों में पानी
आगे अभी और भी है अपने विचार देते रहे
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विजय पाटनी
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2 comments:
heart touching copmosition..
Only we women can change this. try to become strong, fight for our right's, never bear harassment, & try to teach these facts to coming generation...
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