
महगांई ने लूटा सब का चैन , दो जून की रोटी भी मन को कर रही बेचैन ,
आलू, प्याज, टमाटर, भिन्डी ,के भाव सुन आँखों में आ जाता पानी ||
अब जख्मों पे मरहम लगाती ... सिर्फ शीला की जवानी ॥
"कांग्रेस" का "हाथ" ..गरीब के साथ का था वादा,
गरीब के तन से कपडा उतरा , अब वो शरीर से हो गया आधा॥
ये हाथ इतना भारी पड़ा है की हर एक हाथ फैलाये खड़ा है ,
रोती आँखे भूखा पेट हर गरीब की निशानी ...
लाल किले के कानों तक कोई पहुचां दे ये कहानी
अब जख्मों पे मरहम लगाती ... सिर्फ शीला की जवानी ॥
गांधी अब हमारी कुटिया में नहीं आते ..
वो तो अफसरों , नेताओं ,रसूखदारों , अमीरों के यहाँ डेरा जमाए है,
जब भी हमने अपनी जेब में हाथ डाला, बस चंद सिक्के ही पाए है ||
वो भी हमने अपनी बीवी और बच्चो से छुपाये है ,क्योंकी अभी पुरे माह से है निभानी॥
अब जख्मों पे मरहम लगाती ... सिर्फ शीला की जवानी ॥
भला हो शीला तेरा , तुझे देख के कुछ पल ख़ुशी के जी लेते है ,
बहला लेते है मन को... और आँसू को पी लेते है!
वरना 'मनमोहन' के राज ने सब को याद दिला दी नानी...
अब जख्मों पे मरहम लगाती ... सिर्फ शीला की जवानी ॥