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Saturday, December 4, 2010
मैंने देखा इस साल में ...
मेरी नजरो से पूरे साल का हाल ...
मैंने देखा इस साल में ...
विदेशों में अपनों का खून बहते हुए , अपने घरों में लोगो को सहमे सहमे रहते हुए
बेकरी में लोगो को तड़पते देखा , मंदिर से लाशों को उतरते देखा ॥
हजारों को चिरनिद्रा में ले गयी रेल , अरबों के घोटाले दे गया कॉमन वेल्थ खेल ,
महंगाई ने छिना आम आदमी का चैन , भारी बारिश फिर कर गयी बैचेन ॥
मैंने देखा इस साल में ...
प्यार करने वालो को समाज के हाथों मरते हुए .... आतंकवाद से ज्यादा नक्सलियों से लोगो को डरते हुए ॥
सड़ता हुआ अनाज देखा गोदामों में , भूख से बिलखती जिन्दगी शमशानों में,
अकेलेपन से( विवेका बाबाजी) घुट के किसी को मरते देखा , हर तरफ स्त्री को वासना भरी नजरो से डरते देखा ॥
जनता को जागते देखा साम्प्रदायिक ताकतों को पतली गली से भागते देखा
मिलते देखा मैंने अल्लाह और राम को , दुनिया का 'दबंग'(ओबामा ) भी मान गया मेरे नाम को ॥
मैंने देखा मुन्नी को बदनाम होते हुए , शीला को जवान होते हुए
मेरे हालात पे काली पट्टी पहने सफ़ेद पुतले को रोते हुए ॥
मैंने देखा इस साल में ...
माटी के दो लालों(बसु / शेखावत) को माटी में मिलते हुए ...
काम करने वालों के सर पे ताज और बाहुबलियों के हाथों से सत्ता को निकलते हुए ॥
मैंने देखा इस साल में ...
"आदर्श" नेताओं के चेहरे काले , गरीब प्रजा के अरबों रुपये "राजा" के हवाले
जख्म हर हिस्से में मेरे, गुजारिश फिर भी इतनी... इस भ्रष्ट तंत्र को फिर से कोई "बापू" संभाले!!
में टूट चूका हूँ क्युकी मेरे सिपहसलार ही मुझे लूट रहे है ,सपने मेरे 'सोने की चिड़िया' के पीछे छुट रहे है
गम ही गम है मेरे चारों और किसे सुनाऊं अपने अश्को का शोर ?
उम्मीद है मेरे दामन में कुछ पल खुशियों के लाएगी आने वाले साल की पहली भौर... !!
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विजय पाटनी
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4 comments:
यही दुआ करते हैं कि आने वाली भोर ऐसी ही हो…………बहुत ही शानदार रचना।
pure saal ka chitran kar diya aapne...shundar rachna...
shubhkamnaye...
outstanding!!!
bahut badiya , pure saal ka recap kar daala aapne to
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