अरुणोदय
स्वर्णरथ पर सवार,
तिमिर क्षयकार,
हारने अंत: का अंधकार,
हो रहा उदय
अरुणोदय।
निशा के पराक्रम को के ध्वस्त
इंदु के दंभ को कर विनष्ट
हो रहा उदय
अरुणोदय।
फैलाने जग में प्रकाश
करने अंत: करण उजास
हो रहा उदय
अरुणोदय।
स्वर्ण रश्मि बिखेर कर
नव दिवस कर रहा प्रदत
हो रहा उदय
अरुणोदय।
शुभम्.