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Thursday, June 20, 2019

अनुराग

अनुराग        (२०/६/२०१९)

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मीता रोज अपनी बालकनी से अनुराग को स्कूल जाते देखा करती थी। अनुराग भी अपनी मां के मना करने के बावजूद चुपके से पलट कर उसे बाय जरूर कर देता था। अनुराग को देखकर मीता के मां ना बन पाने की तड़प कुछ पल के लिए शांत हो जाती। अनुराग भी अपनी छोटी मां से प्यार पाने के लिए बैचन रहता था। आखिर मीता ने ही तो उसे पाला था, जहान्वी को तो बच्चा चाहिए ही नहीं था। 

               झगड़े तो बड़े कर लेते है बच्चे तो अबोध होते है। शाम को खेलते वक्त अनुराग जानबूझ कर बॉल मीता के आंगन में फेंक देता, ताकि बॉल लाने के बहाने छोटी मां से मिल लेगा। मीता भी तैयार रहती, उसके आते ही फौरन उसे गले से लगा दो चॉकलेट हाथ में पकड़ा देती। 

              दो दिन हो गए अनुराग दिखा नहीं उसे। मीता ने पति से पता लगाने बोला, पर बड़े भाई की नाराज़गी आड़े आ गई। आखिरकार मीता खुद गई  जहान्वी के घर। अनुराग अनुराग आवाज लगाया तो उसकी आया ने बताया कि अनुराग को दो दिन से तेज बुखार है, अभी अस्पताल के कर गए है।
               बदहवासी सी मीता अस्पताल पहुंची। वहां बेड पर बेहोश पड़ा अनुराग छोटी मां की रट लगाए था। मीता को देखते ही जहान्वी की अश्रुधारा बह निकली। उसे गले से लगा वो बोल रही थी "अपने अनुराग को बचा लो मीता, अपने अनुराग को बचा लो" ।।

शुभम्.


1 comment:

Shubham Jain said...

शुक्रिया

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