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Wednesday, June 12, 2019

गलतफहमी

गलतफ़हमी         (लघुकथा)

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बिरजू और सरजू की पूरे गांव में एक अलग पहचान थी। इन दोनो भाईयों का आपसी प्रेम गांववालों के लिए एक मिसाल था। आज के समय मे जब भाई-भाई का दुश्मन है, ये दोनो भाई एक दूसरे के लिए जान देने को तत्पर रहते। दोनोंं की बीवियां भी सगी बहनो से कम ना थी और बच्चेंं तो पता भी नही चलते कौन किसके है। अगाध प्यार से भरा ये परिवार खूब फला-फूला ।

आज बरसो बाद गांव लौटा हूं । उनके घर गया देखा आंगन में दीवार खींची है। सुनने मे आया कोई शकुनि आया था । गलतफ़हमी कि दीवार खड़ा कर गया।

शुभम्  .

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