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Friday, May 28, 2010

अजीब रिश्ते


पैसो के आगे क्यो झुकते है रिश्ते

दर्द ही दर्द मेरी किस्मत में क्यो लिखते है रिश्ते !

इतने मतलबी हो गए है अपनी दुनिया में वो की

अब तो जरूरत पर भी कंहा दिखते है रिश्ते !!

खून के रिश्ते नाम के रिश्ते

चहरे पर हँसी लाये कलियों की तरह दिल के बाग़ में कंहा खिलते है रिश्ते !

गमो की आहट से ही अब क्यो हिलते है रिश्ते !

हमें अपना हिस्सा बना ले हमे अपनी साँसों में बसा ले

रोते हुई आँखों को हँसा दे खुशियों का अम्बार लगा दे

मंजिल तक साथ चले ऐसे कंहा अब मिलते है रिश्ते !!

14 comments:

Anonymous said...

bahut khub vijay bhai...
achha likha hai aapne....
badhai sweekaar karein....

Anonymous said...

सच्ची बात - सच्चे रिश्ते आज बहुत कम मिलते हैं मतलब परस्त ज्यादा.

nilesh mathur said...

वाह! रिश्तों को बड़ी खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है!!

एक बेहद साधारण पाठक said...

बहुत अच्छा लिखा है
सच तो ये है की इश्वर के अलावा जिस भी रिश्ते में हम अर्थ ढूंढना चाहेंगे
उलझ कर रह जाएँगे

read this :
http://my2010ideas.blogspot.com/2010/04/blog-post_04.html

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अब तो रिश्ते भी व्यापार बन गए हैं...अच्छी रचना

Unknown said...

Very good take on rista

कडुवासच said...

...प्रसंशनीय रचना!!!

arvind said...

रिश्तों को बड़ी खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है!!

आचार्य उदय said...

आईये, मन की शांति का उपाय धारण करें!
आचार्य जी

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

रिश्तों की सार्थक पडताल।
--------
रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Is rand badalti duniya mein,
Kya tera hai kya mera hai?
Dekh bhai dekh!
Bahut acchhe!

HBMedia said...

bahut shaandar luekhn...

M VERMA said...

गमों की आहट से ही अब क्यों हिलते है रिश्ते !

रिश्ते ..... अब तो रिसते हैं

Gaurav Baranwal said...

Bahut khub....
Bahut Achchhi rachana hai....
Isne to risto ka arth ko bata
diya........

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