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Saturday, June 27, 2009

लड़की

कोई समझे ना लड़की को बोझ यहाँ यह बात बताना चाहती हुं,
सोये मानुष के मन में यह अलख जगाना चाहती हुं॥
मारो न गर्भ में उनको अब आने दो जीवन जीनो दो,
तेरी बेरंग दुनिया को रंगों से उन्हें सजाने दो।
कुछ सपने मीठे बुनने दो, कुछ गीत खुशी के गाने दो,
जीनो दो अपना जीवन अब कुछ कर के उन्हें दिखानो दो॥
बीत गया वो समय पुराना, आया नया ज़माना है,
लड़का लड़की एक है यह बात सभी ने माना है॥
कदम उठ गये आगे अब आगे ही बढ़ते जायेगे,
छूना है चाँद तारो को छु कर हम दिखालायेगे॥
सारे सपने पूरे करना यह हमने अब ठाना है,
नही झुकेगे किसी के आगे सबको यह बतलाना है॥

8 comments:

विजय पाटनी said...

ladkiyo ne humesha se hi sab ko sambhala hai
bade hi dukh ki baat hai ki janam dene waali janni ko hi janam nahi le ne diya jaraha:(

nice thought :)

EKTA said...

excellent spirit...
i wish sab aisi hi soch rakhte...
hats off to u...

प्रकाश गोविंद said...

बहुत प्रेरणादायक कविता

रचना के माध्यम से
आपने जो भावनात्मक सन्देश दिया है
वो दिल तक पहुँचता है !

लिखते रहिये !आगे भी ऐसी ही सुन्दर पोस्ट की उम्मीद है !

मेरी शुभकामनाएं !!

आज की आवाज

प्रकाश गोविंद said...

कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !

तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स

आज की आवाज

Unknown said...

waah
waah
atyant maarmik aur saarthak kavita

abhinandan !

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bilkul aisa hee hai. narayan narayan

Anonymous said...
This comment has been removed by the author.
Anonymous said...

सुन्‍दर। शुभकामनाएँ।

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