
अलमारी के लोकर में. तेरे ख्यालों को महफूज रखता हूँ
मैं कहीं भी रहूँ , आँखों में तेरी तस्वीर, जरुर रखता हूँ |
एक पल भी खाली रहूँ तो, आती है तेरी याद
इसलियें मैं खुद को, हमेशा मशरूफ रखता हूँ |
करता हूँ घुमा फिरा के तेरी बातें सबसे
देख कितना मैं, तुझे मशहूर रखता हूँ ||
चाँद में देखूं तुझे , मुझे बदली में भी तू नजर आये
दिल में हमेशा प्यार का फितूर रखता हूँ |
कहतें है.. तेरा नशा शराब से बड़ कर है
इसलियें में खुद को तुझ से दूर रखता हूँ |
अलमारी के लोकर में. तेरे ख्यालों को महफूज रखता हूँ
मैं कहीं भी रहूँ , आँखों में तेरी तस्वीर, जरुर रखता हूँ |
5 comments:
वाह! बहुत ही प्यारी रचना..... सुन्दर भावो के साथ.....
gajab sirji gajab.. mazaa aa gaya :)
palchhin-aditya.blogspot.in
कहतें है.. तेरा नशा शराब से बड़ कर है
इसलियें में खुद को तुझ से दूर रखता हूँ ...
nice one..
बहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार
नई पोस्ट पर आपका स्वागत है !
सबसे पहले दक्ष को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनायें.!!
Active Life Blog
hmmm......
sundar rachna :) :)
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