
वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है
उसके जीवन में खुशियों की, कमी सी लगती है |
मुस्कराती है ज़माने को, दिखाने के खातिर
अन्दर उसके , आसुओं की झड़ी सी लगती है
उसके जीवन में खुशियों की, कमी सी लगती है |
मुस्कराती है ज़माने को, दिखाने के खातिर
अन्दर उसके , आसुओं की झड़ी सी लगती है
वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है ||
उसका बचपना छूट गया, जवानी की दहलीज पे
ज्यादा दिन टिक ना सका, यौवन का खुमार..|
कभी खुद लापरवाह , कभी रिश्ते बेपरवाह
जिन्दगी अब उसकी, मज़बूरी सी लगती है ..|
वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है ||
किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |
किसी की फितरत ने, उसे बड़ा बना दिया |
आसुओं को पीती रही , गमों को सीती रही
अपने दर्द को उसने , हमेशा हँसी में उड़ा दिया |
उसका बचपना छूट गया, जवानी की दहलीज पे
ज्यादा दिन टिक ना सका, यौवन का खुमार..|
कभी खुद लापरवाह , कभी रिश्ते बेपरवाह
जिन्दगी अब उसकी, मज़बूरी सी लगती है ..|
वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है ||
किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |
किसी की फितरत ने, उसे बड़ा बना दिया |
आसुओं को पीती रही , गमों को सीती रही
अपने दर्द को उसने , हमेशा हँसी में उड़ा दिया |
वक्त बेवक्त भीगी पलकें ,अश्कों को उसकी, मंजूरी सी लगती है
वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा , बड़ी सी लगती है ||
6 comments:
हकीकत बयाँ कर दी।
मुस्कराती है ज़माने को, दिखाने के खातिर
अन्दर उसके , आसुओं की झड़ी सी लगती है
....बहुत खूब! दिल को छूती सटीक अभिव्यक्ति..
किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |
किसी की फितरत ने, उसे बड़ा बना दिया |
बहुत अच्छी रचना..
गहन अभिवयक्ति........
किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |
किसी की फितरत ने, उसे बड़ा बना दिया |
आसुओं को पीती रही , गमों को सीती रही
अपने दर्द को उसने , हमेशा हँसी में उड़ा दिया ..
मार्मिक ... बहुत मुश्किल होता है गम में मुस्कुराना ...
"वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है"
नामक कविता में एक ऐसी नायिका का चित्रण है जो कर्त्तव्य के बोझ से दबी हुई खुद के प्रति लापरवाह है | वह आँसुओं को पीती हुई और ग़मों को सीती हुई बड़ी हो रही है |
अच्छी कविता के लिए बधाई |
- शून्य आकांक्षी
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