tag:blogger.com,1999:blog-3795906692203663583.post2351438682356341271..comments2023-10-04T02:03:00.687-07:00Comments on Dil ki kalam se: वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है ||VIJAY PATNIhttp://www.blogger.com/profile/10765989717404748519noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3795906692203663583.post-31739416874045219492012-01-01T09:24:54.677-08:002012-01-01T09:24:54.677-08:00"वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है&..."वो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा, बड़ी सी लगती है"<br />नामक कविता में एक ऐसी नायिका का चित्रण है जो कर्त्तव्य के बोझ से दबी हुई खुद के प्रति लापरवाह है | वह आँसुओं को पीती हुई और ग़मों को सीती हुई बड़ी हो रही है |<br />अच्छी कविता के लिए बधाई |<br />- शून्य आकांक्षीShoonya Akankshihttps://www.blogger.com/profile/06648329056370985240noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3795906692203663583.post-5858772000939321852011-12-29T02:49:34.303-08:002011-12-29T02:49:34.303-08:00किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |
किसी की फितर...किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |<br />किसी की फितरत ने, उसे बड़ा बना दिया |<br />आसुओं को पीती रही , गमों को सीती रही<br />अपने दर्द को उसने , हमेशा हँसी में उड़ा दिया ..<br /><br />मार्मिक ... बहुत मुश्किल होता है गम में मुस्कुराना ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3795906692203663583.post-30518009349001772132011-12-26T08:15:47.129-08:002011-12-26T08:15:47.129-08:00गहन अभिवयक्ति........गहन अभिवयक्ति........विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3795906692203663583.post-48373843567967584802011-12-26T07:41:20.470-08:002011-12-26T07:41:20.470-08:00किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |
किसी की फितर...किसी की नफरत ने , उसे बड़ा बना दिया |<br />किसी की फितरत ने, उसे बड़ा बना दिया |<br /><br />बहुत अच्छी रचना..आशुतोष की कलमhttps://www.blogger.com/profile/05182428076588668769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3795906692203663583.post-83442194740068612082011-12-26T06:40:02.714-08:002011-12-26T06:40:02.714-08:00मुस्कराती है ज़माने को, दिखाने के खातिर
अन्दर उसके...मुस्कराती है ज़माने को, दिखाने के खातिर<br />अन्दर उसके , आसुओं की झड़ी सी लगती है<br /><br />....बहुत खूब! दिल को छूती सटीक अभिव्यक्ति..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3795906692203663583.post-47597919992596323062011-12-26T04:42:17.139-08:002011-12-26T04:42:17.139-08:00हकीकत बयाँ कर दी।हकीकत बयाँ कर दी।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com