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Friday, July 9, 2010
अनजाना हमसफ़र
सब लोग तेरी ही तलाश में है .....
तू दूर है .....या तू पास में है ........?
तेरे आने से मेरी दुनिया बदल जायेगी
इतना तो बता दे तू कब आएगी... ?
अपने जमीं पे होने का कुछ अहसास तो दें .....
मुरझाये फूलों को फिर से खिलने की आस तो दें
तेरी कमी मुझे यूँ खल रही है ....
की ख़ुशी में भी गम की एक झलक मिल रही है॥
तुझे पाने की चाह में मंदिर- मस्जिद सब जगह हो आयें है
हाथ की लकीरों ने भी तेरे सपने दिखाए है .....
हमसफ़र तू है कहाँ ....कब तक में अकेला चलता रहूँ राहो पे ... ??
क्या हिचकी नहीं आती तुम्हे ..दिल से निकली मेरी आह़ो पे ?
तू मेरी जिन्दगी का आधा हिस्सा है ...अभी तक बस कहानी है किस्सा है
तेरी तस्वीर मुझ से बनती नहीं है न ही तुझे शब्दों में उतार पाया हूँ
पर महसूस किया है तुझे बारिश कि बूंदों में और बागो के झूलों में
हर उगते दिन और हर ढलती शाम के साथ....
जोड़ना चाहता हूँ में अब नाम तेरे नाम के साथ ..
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4 comments:
बहुत अच्छे भाव !!
bahut sundar...
shubhkamnao sahit,
शुभकामनाएं "हिचकी भी आएगी और वो भी" - सुंदर
सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बहुत बहुत आभार.
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