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Thursday, May 22, 2014

बस यूँही जन्म लेने से एक दिन पहले :)



न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)
थकी मांदी  सी रात है , मन मौजी सहर है 
मैं जिस से भी मिला , अपना बन कर मिला 
फिर भी जाने क्यों अब तक अंजाना ये शहर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

मैं जिन से दिल से जुड़ा , उनसे कभी न रूठा 
और जिस से दिल से रूठा , फिर उससे कभी न जुड़ा 
फूलों वाला जो दरख्त दीखता है दूर से 
असल में वो काटों वाला "शजर" है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

पूरी है जिंदगी पर प्यार अभी भी बाकी है 
उस एक नशे को खोजता अब तक ये साकी है 
मुकम्मल है आईना  मेरा, कुछ चेहरों पर फिर भी नजर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

मेरे बहीखाते को मत रखना तुम देर तक सवालों में 
दो आँखों का  सुकून  और चार लबों पर खुशियाँ 
बस यही  जोड़ा है, गुजरे हुए सालों में। .. :)
जब वो रोती आँखों से मुस्करा देते है, हमें याद कर 
तभी झूमती गाती  अपनी भी सहर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

और चलते चलते 
के अब तक रखा है , आगे भी साथ रखना 
अपनी हर दुआ में , मुझे याद रखना 
खुश हूँ अब तक क्यूंकि आप की दुआओं में बड़ा असर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)



1 comment:

Shekhar Suman said...

आपकी इस पोस्ट को आज के ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है...

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