प्यार के एहसास से , उसके हर जज़्बात से नफरत है
इश्क़ के गवाह हर इक गुलाब से नफरत है
साथ जो बिताये तेरे हर इक पल की कसम
अब उस वक़्त का ख्याल से नफरत है
बेरुखी को तेरी अदा मान मोहब्बत की हमने
खुद को सज़ा देने के इस अंदाज़ से नफरत है
दर्द-ए-इश्क़ की इन्तहा ही है शायद कि
आज हमे अपने आप से नफरत है.।
5 comments:
आपकी लिखी रचना मंगलवार 27 मई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
shukriya
दिल को छू हर एक पंक्ति....
वाह-वाह क्या बात है। बहुत ही उम्दा रचना।
visit me to read :गुज़ारिश ...
http://rahulpoems.blogspot.in/2014/06/blog-post.html
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