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Monday, July 16, 2012

माँ ... मुझे ना दे जन्म ...


माँ 
मुझे ना दे जन्म ...
मैं यूँ मर मर के,  जी ना पाउंगी 
अच्छा होगा यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....

माँ , जब चाहा पापा ने अपना गुस्सा तुझ पर उतारा 
वजह- बेवजह तुझ को मारा !!
तू चुप कर के , जो सहती है , मैं सह ना पाउंगी 
अच्छा होगा,  यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....

माँ,  जब तू ऑफिस से आने में दो घंटे लेट हो जाती है 
घर पर सब का पारा गर्म हो जाता है 
हजारों अनचाहे सवालों का जन्म हो जाता है 
तू जिन सवालों को सुलझाती है , मै सुलझा ना पाउंगी 
अच्छा होगा , यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....

माँ , गैर मर्दों की आँखों में , तेरा वहशियत को पढना 
रात में, सडक पर तेरा,  तेज क़दमों से चलना 
तू जितना डर कर चली है , मैं चल ना पाउंगी 
अच्छा होगा,  यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....

माँ कहने को तो सांस लेने का अधिकार है तुझे 
पर किसे पता है , कितना कर्ज दिल पर रख कर, तू मुस्कराती है ?
अपनों का भविष्य बनाते बनाते, खुद मिट जाती है !!
तुने खोया अपना वजूद , मै खुद को खो ना पाउंगी !
अच्छा होगा, यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....
माँ,  मैंने देखा है,  हर बार तुझे ...अपने मन को मारते हुए 
अपनों के हाथों ही हारतें हुए !!
हर कदम पर समाज-घर वालों का.. तुझे टोकते हुए  !
अपनी हर इच्छाओं को, खुद से रोकतें हुए !!
मैंने देखा है तुझे ...
अपने सपनों को खोते हुए , अक्सर छुप छुप कर रोते हुए,
 "स्त्री होने का एक अनचाहा बोझ ढोतें हुए" 
 तू जितना डर कर जी ली है,  मै जी ना पाउंगी 
अच्छा होगा , यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....
 

2 comments:

राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' said...

वाह विजय जी सलाम आप की इस कलम को
सुन्दर शव्दों का समायोजन, उम्दा पंक्तियां .....
माँ , गैर मर्दों की आँखों में , तेरा वहशियत को पढना
रात में, सडक पर तेरा, तेज क़दमों से चलना
तू जितना डर कर चली है , मैं चल ना पाउंगी
अच्छा होगा, यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....

माँ कहने को तो सांस लेने का अधिकार है तुझे
पर किसे पता है , कितना कर्ज दिल पर रख कर, तू मुस्कराती है ?
अपनों का भविष्य बनाते बनाते, खुद मिट जाती है !!
तुने खोया अपना वजूद , मै खुद को खो ना पाउंगी !
अच्छा होगा, यदि कोख में ही मर जाउंगी !! :).....

Roshi said...

bahut sunder likha hai..........

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