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Tuesday, December 20, 2011

मैंने देखा इस साल में .....2011



मैंने देखा इस साल में .....
नेताओं को तिहाड़ जेल में आराम फरमाते , आतंकवादी को राजकीय अतिथि सा सम्मान पाते
मैंने वर्ल्ड कप को अपने हाथ में देखा , पूरे देश को अन्ना के साथ में देखा |
मैंने किंगफिशर का नशा उतरते देखा , सोने को तेजी से चढ़ता देखा |
मैंने खून से सनी मुंबई देखी ... देखी, खून से सनी दिल्ली
आम जन मरतें रहें ... और नेता ...बैठे रहें बन के भीगी बिल्ली ||

मैंने देखा इस साल में ...
गरीब के साथ साथ , मिडल क्लास को भी रोते हुए ... सरकार को कान में रुई डाल के सोते हुए |
मैंने महंगाई की मार देखी .... मैंने भूख से हाहाकार देखी |
मैंने संसद में सिर्फ हंगामा और बहस देखी , मैंने किसान की जमीं पर कार रेस देखी |
मैंने रामलीला में लोकतंत्र को पिटते देखा ... नारी की इज्जत को सरे आम लुटते देखा |
राजनेताओं को लगा "भंवरी" का रोग देखा ... "सीबीआई" का बेजा दुरूपयोग देखा ||
मैंने "ममता" को मिलते राज देखा .... "सुशिल कुमार" को पहने ताज देखा |
मैंने देखी हत्या पत्रकार की ... सूरत देखी घोटालों वाली सरकार की |

मैंने देखा इस साल में ....
मेरे "अपनों" को हमेशा के लिए जुदा होते हुए ....उनकी याद में हर एक को रोते हुए :(
मैंने देखा हर दिल अजीज शम्मी कपूर को जातें हुए .... उस जवान आदमी(देवानंद ) को भी लोगो को रुलाते हुए |
मैंने रुआंसी गजल(जगजीत सिंह ) देखी ...... नविन (नविन निश्चल) के लियें आँखें सजल देखी |
दो उस्तादों को आखरी सलाम देखा | (भूपेन हजारिका / उस्ताद सुल्तान खां )
प्रधानमंत्री की होड़ में , सब से उपर मोदी का नाम देखा |

इस साल मैंने जिन्दगी का हर उतार चड़ाव देखा , हर महीने पेट्रोल का एक नया भाव देखा ||
मैंने जनता का लोकतंत्र के गाल पर तमाचा देखा..उन्नति का, "खाली कागजों" में सरकारी खांचा देखा |
अब बस गुजारिश ऊपर वाले से इतनी, की या तो , इस राजनीती को वो खुद संभालें |
या फिर हम को भी अब अपने पास बुलाले | :)
इस महंगाई में , भ्रष्ट तंत्र में अपना दम घुटता है ...
बच्चों की छोटी फरमाइश के आगे भी , अब अपना सर झुकता है |
इस साल महंगाई ने , अपनी कमर भी तोड़ डाली है ,
कैसे मनाऊं जश्न नये साल का , मेरी दोनों जेबें खाली है :(

2 comments:

विभूति" said...

बेहतरीन अभिवयक्ति.....

रमणीक said...

रचना बहुत अच्छी है......
यदि व्याकरण की शुद्धि कर बेहतर प्रस्तुति की जाये तो
सोने पे सुहागा.

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