
ये, वो रिश्ता है, जो जीना सिखाता है ||
कच्चे धागे में, अनमोल मोती सा ...
चाहे मीलों दूर ही सही, पर आँखों कि ज्योति सा ...
कभी सच्चा सा , कभी झूठा सा ...
कभी हमें मनाता, मिन्नतें कर के, कभी हमसे ही रूठा सा ...
मेरे अधूरे सपने वो अपनी पलकों पे सजाता है ...
अक्सर मेरी परछाई में, वो अपना अक्स दिखाता है,
ये वो रिश्ता है, जो जीना सिखाता है ||
कभी आभास सा , कभी अहसास सा
टेड़ा मेडा जलेबी कि तरह, पर शहद कि मिठास सा
उडती पतंग कि डोर सा , सुरीले संगीत के शौर सा ..
मेरे रुके कदम को वो अपने होसलों से चलाता है
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारें जिसकी तलाश में हम घूमें ..
वो खुद, दोस्त बन के हमारी जिन्दगी में आता है
ये रिश्ता जीना सिखाता है
6 comments:
्वाह आनन्द आ गया।
आपको मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार.
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये
"मंदिर मस्जिद गुरुद्वारें जिसकी तलाश में हम घूमें
वो खुद, दोस्त बन के हमारी जिन्दगी में आता है
ये रिश्ता जीना सिखाता है"
बहुत सुंदर - बधाई और शुभकामनाएं
very nice...... happy friendship day
दोस्ती कि खुबसूरत अभिवयक्ति.....
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