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Wednesday, March 28, 2012

वक्त के पन्ने रेत से...



वक्त के पन्ने रेत से, मेरे हाथ से फिसलते गये
जहाँ मौका मिला खुशियाँ थक कर बैठ गयी
गम मेरे साथ, उम्र भर चलते गये |
यादें सिर्फ ताउम्र साथ रहीं मेरे
लोग बिछड़ते गयें ... लोग मिलतें गये |
वक्त के पन्ने रेत से, मेरे हाथ से फिसलते गये |

मुसाफिर से मिले, मुझसे "अपने" भी यहाँ
खुशियों में लगाया गले .
दुःख में किनारा कर, निकलते गये |
जो शख्स मुस्करा कर मिला, हमने उस को "हक" दिया
लोग धोखा देते गये , हम गिर गिर कर संभलते गये
वक्त के पन्ने रेत से, मेरे हाथ से फिसलते गये |

मेरे ख्वाबों की कब्रों पर , उन्होंने अपने मकान बना लिए
वो भी गमों में पलते गयें , हम भी खुशियों से हाथ मलते गये
वक्त के पन्ने रेत से, मेरे हाथ से फिसलते गये
जहाँ मौका मिला खुशियाँ थक कर बैठ गयी
गम मेरे साथ, उम्र भर चलते गये |

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