
उम्मीदों की सड़क नहीं मिलती , खुशियों का आसमां नहीं मिलता
यहाँ किसी को अपने , सपनों का जहां नहीं मिलता ?
तुम कहते हो, क्यूँ मरे जा रहें हो ?
प्यारे इस महंगाई में, जिन्दा रहने का, "सस्ता" सामान नहीं मिलता |
उसने भेजा था धरती पर , तब में सिर्फ इंसान था
अब मजहबों में बांटा दिया गया ,
उसकी धरती पर हर लाश को , शमशान नहीं मिलता |
देर तक जिन्दा रहते है अक्सर वो , जिनकी मौत का इंतजार होता है सब को
और जिस का इंतजार होता है घर पर रात भर ,सुबह तक वो इंसान नहीं मिलता |
कहतें है आदमी की जान का दुश्मन, खुद आदमी है यहाँ
पर किसी शख्स के चेहरे पर, खतरे का निशान नहीं मिलता ?
गम मुकम्मल मिलतें है , दर्द मुकम्मल मिलतें है
बस मुक्कमल ईमान नहीं मिलता |
मैं लिख देता हूँ चाँद , तारें, किसी की भी जिन्दगी में
पर मुझे दो वक्त की रोटी का, इनाम नहीं मिलता ||
उम्मीदों की सड़क नहीं मिलती , खुशियों का आसमां नहीं मिलता
यहाँ किसी को अपने , सपनों का जहां नहीं मिलता
4 comments:
उम्मीदों की सड़क नहीं मिलती , खुशियों का आसमां नहीं मिलता
यहाँ किसी को अपने , सपनों का जहां नहीं मिलता.... भावपूर्ण रचना.....
बहुत खूब लिखा है आपने .......सच में .......
किसी को भी यहाँ मुकम्बल ..जहान नहीं मिलता
हर किसी को उसके हिस्से का आसमान नहीं मिलता
जहाँ वो उड़ सके अपनी ख्याबों ...के आसमान पर
चल सके ...अपने हिस्से की धरती पर ...
जी सके कुछ पल अपनी ही मर्ज़ी से अपनी इस जिन्दगी में
बेजोड़ रचना...बधाई
नीरज
बेहद ही सुन्दर रचना धन्यवाद् देता हूँ आपको की आपने इसे प्रकाशित करा.
कभी किसीको मुक्कमल जहा नहीं मिलता,
कभी जमीं तो कभी आसमा नहीं मिलता.
तेरे जहा में ऐसा नहीं की प्यार नहीं, पर
जहा उम्मीद हो अक्सर वह नहीं मिलता.
From everything is canvas
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