
मैंने आज दीवारों को रंगा है
इस उम्मीद से, की ये नये रंग
कुछ मेरी जिन्दगी, भी बदल देंगे ...
कुछ खुशियाँ जीवन में भर देंगे ..
इसीलिए...मैंने ....
थोडा नीला रंग चुना है ...
ताकि अपने अरमानों को, पंख लगा के उड़ लूँ
और जब चाहूँ, आसमाँ छू लूँ ...||
थोडा मैंने हरा भी चुना है
ताकि हरियाली , खुशियाली रहें
हमारे घर - आँगन में ...॥
कुछ लाल रंगा है
ताकि ढलते सूरज की, लालिमा को महसूस कर सकूँ...
थोडा सा हिस्सा गुलाबी रखा है
ताकि कुछ गुलाबी यादें, तेरे - मेरे जीवन का हिस्सा बन सकें ||
एक दिवार सफ़ेद छोड़ दी है ...
इस उम्मीद में की ,
उसे अच्छी यादों से सजाउंगी...||
मुझे पता है , तुम अब भी नाराज हो...
क्यूंकि मैंने, तुम्हरा पसंददीदा रंग, "काला" नहीं लगाया ...
पर ये काला रंग, कालेपानी की सजा सा लगता है
मै ऊब चुकी हूँ उससे,
दम घुटता है मेरा , जब अकेली होती हूँ...
काला रंग, अँधेरा ला देता है जीवन में ...
और मुझे अब सिर्फ उजाले की तलाश है...
सुनो ना ....
इस बार तुम भी इन नये रंगों से खेलो
अँधेरे को छोड़ कर उजाले से मिलो ... !!
6 comments:
सुनो ना ....
इस बार तुम भी इन नये रंगों से खेलो
अँधेरे को छोड़ कर उजाले से मिलो ... !!
वाह विजय जी रंगो के माध्यम से ज़िन्दगी रंगो से भर दी।
इस बार तुम भी इन नये रंगों से खेलो
अँधेरे को छोड़ कर उजाले से मिलो ... !! sahi kaha aapne....
रंगों की क्या खूब छटा बिखेरी है - वाह वाह - बहुत सुंदर
VIJAY JI
सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकारें /
मेरी १०० वीं पोस्ट पर भी पधारने का
---------------------- कष्ट करें और मेरी अब तक की काव्य-यात्रा पर अपनी बेबाक टिप्पणी दें, मैं आभारी हूँगा /
मैंने आज दीवारों को रंगा है
इस उम्मीद से, की ये नये रंग
कुछ मेरी जिन्दगी, भी बदल देंगे ...
कुछ खुशियाँ जीवन में भर देंगे
बेहद खूबसूरत....
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इस बार तुम भी इन नये रंगों से खेलो
अँधेरे को छोड़ कर उजाले से मिलो ... !!
बहुत सुन्दर भावमयी रंग...
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