Followers

Thursday, July 14, 2011

आ उड़ चले अब गगन में...


आ उड़ चले अब गगन में , धरती पे बहुत शौर है
हर एक शाम रंगी खून से , सिसकती हर एक भौर हैं
आ उड़ चले अब गगन में , धरती पे बहुत शौर है ||

जो सफेदी कभी देती थी शांति का सन्देश
उस को लपेटे खड़ा , कोई कातिल है कोई चोर है
आ उड़ चले अब गगन में , धरती पे बहुत शौर है ||

अँधेरा कर गयी पूरी जिन्दगी में, एक सुहानी शाम
गायब हुई मुस्कराहट लबों से , ना मिलें आसुओं को आराम
उतरा नहीं इक निवाला हलक से , हाथों में अधूरी रोटी कि कोर है
आ उड़ चले अब गगन में , धरती पे बहुत शौर है ||

इंसान ही इंसानियत का कर रहें है खून ...
हरी भरी धरती को लाल करने का कैसा है ये जूनून ?
सहमा - सहमा हर एक शख्स, किस काम का ये नया दौर है ?
आ उड़ चले अब गगन में , धरती पे बहुत शौर है ||
------------*--------*-----------*----------------*
कुछ दिन करेंगे हो हल्ला , फिर सब चुप हो जायेंगें
सचिन का होगा सौवां शतक , हम धमाकों का दर्द भूल जायेंगें
दिल्ली कहेगा मुंबई कि गलती , मुंबई कहेगा दिल्ली कि
इस देश में ऐसा होता रहेगा , ये लड़ाई है चूहे बिल्ली कि
ना जाने लाल किले के कानों को कोन सा धमाका हिलाएगा
कब तक इस प्यासी धरती को , आम आदमी का लहू दिया जाएगा ?
मुंबई आतंकवादी हमलें में मारे गए सभी आम आदमी को इस आम आदमी कि और से अश्रुपूर्ण श्रदांजलि ||

2 comments:

Aparajita said...

Very nice and true to heart lines............sach me duniya aisi hi ho gayi hai
Insaan hi insaaniyat ka dushman ban gaya hai, sab bas apne swarth me eetey hain, kisi k dukh dard ki parwaah hi nahi......Insaan se zyada true feelings to bejubaan jaanwaron me hoti hai, kam se kam wo jhuth nahi boltey, jhuthey rishtey nahi nibhatey, kisi ko bewajah nahi pareshaan kartey.................
leave that but really aapne bahut acchhi poem lihi hai, keep it up ..my best wishes are alwayz wid u :) :)

Unknown said...

amazing as usual....

Related Posts with Thumbnails