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Saturday, January 2, 2010

नेट फ्रेंड्स

थोड़े तुम्हारे गम और थोड़े हमारे गम
यहाँ मिल के कुछ कर लिए है कम
कुछ खुशियों के पल बिता लिएकुछ अंखियों मे सपने सजा लिए
बिना चले ही आने वाले जीवन की कितनी बार राहें तय कर ली है !

तुम उस किनारे हम इस किनारे मिलें कैसे ? दूरियां है दरमियाँ !!
पर हमने अपनी सोच को एक ही दिशा मे ला के
शब्दों के माध्यम से चलते हुए कई बार ही अपनी मंजिल को पा लिया है !!
कोन कहता है की हमे मिलना जरूरी है इस रिश्ते को निभाने के लिए ?

ये आभास और अहसास के रिश्ते है !!
ये दुनिया वालो की समझ मे आसानी से नहीं आने वाले !
क्योंकी ये मतलबी लोग तो बिना मतलब के अपनों को भी नहीं पूछते है !!

और हम यहाँ बिना कुछ पाने की चाह रखे,
तुम्हारे कुछ गम में डूबें शब्दों को अपनी आँखों से बहा रहे है !!

कोन कहता है की शब्द बदलने से जिन्दगी नहीं बदलती ?
हमने तो शब्दों के माध्यम से ही ........
जीवन का आदान प्रदान कर लिया है

4 comments:

Shubham Jain said...

sahi kaha...mouse ki ek click se na jane kitne rishte jud jate hai...bhale hi wo aabhasi ho lekin kai baar vastvik rishto se bhi jayada karib ho lagte hai....

EKTA said...

absolutely rite....

Alpana Verma said...

Bahut sundar bat kahi hai Vijay ji aap ne...Shabdon mein bahut taqat hoti hai....

Anonymous said...

"हमने तो शब्दों के माध्यम से ही ........
जीवन का आदान प्रदान कर लिया है"
बहुत खूब

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