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Sunday, July 28, 2019

ज़िन्दगी

ज़िंदगी

जिंदगी दुनिया कि पटरी पर दौड़त हुयी एक रेलगाड़ी है जिसमे समय समय पर कई किरदार शामिल होते है और अपने गंतव्य पर उतर कर चले जाते है।


कई बार जिंदगी परियों की कहानी जैसी लगती है,
कई उतार-चढ़ाव के बाद एक सुखद अंत मे बदलती  हुई।


कभी सुगंधित फूल की तरह कोमल
तो कभी कठोर चट्टान के जैसे
सारे तुफान का सामना करते हुए।


कई बार सूर्यास्त की तरह सुंदर जिंदगी
पल मे गहरी रात मे तब्दील हो जाती है,


तो कई बार इंद्रधनुष सी रंगीन जिंदगी
पानी की तरह बेरंग मिलती है।


उलझी सुलझी, सुलझी उलझी


गिरती- उठती, आगे बढती।


बस बढते ही जाने का नाम है जिंदगी।।

शुभम् .


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