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Saturday, April 20, 2013

दो शक्लों वाला बलात्कार...







ये दो शक्लों वाला बलात्कार मुझे पचता नहीं है

तुम्हारी राजधानी में हुआ बलात्कार अत्याचार है 

और हमारे कस्बें में हुआ बलात्कार चंद रुपयों का व्यपार है ?

सिर्फ इसलिए की वहां मीडिया है, हाई प्रोफाइल लोग है |

लाखों मोमबत्तियां और करोडो "मेल" फेशन में आ जातें है ||

चार दिन सार देश आँसूं बहाता है 
और फिर पांचवे दिन ipl का नाच दिखाता है !

हमारे अख़बारों में स्त्रियाँ रोज दम तोड़ती है
रोज चीथड़े चीथड़े होता है बचपन
पर किसी के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती ?
बड़ी "ढीट" व्यवस्था है, सिर्फ केमरे के सामने हिलती है !
अँधा पढ़ा लिखा समाज है , सिर्फ भीड़ का अनुसरण करता है :(

5 comments:

vandana gupta said...

एक कडवा मगर बिल्कुल सच्चा सत्य है ये

दिल की आवाज़ said...

बात तो आपकी सही ही है ...

Anonymous said...

यथार्थ चित्रण - कड़वा सच

निवेदिता श्रीवास्तव said...

कटु सत्य .....

Unknown said...

don't agree to this...

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