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Sunday, June 17, 2012

कुछ लिखना है , ऐसा...

कुछ लिखना है , कुछ ऐसा , जो अब तक ना लिखा गया हो 
कुछ ऐसा , जो अब तक ना ही कहा गया हो , ना ही सुना गया हो 
कुछ ऐसा लिखना है,  जिसे पढ़ कर काम क्रोध मोह माया सब शांत हो जाएँ 
कुछ ऐसा लिखना है,  की "सपनों में ही ,  हकीकत वाली रात हो जाए 
............. चंद शब्दों में ही सारी बात हो जाए ||

कुछ लिखना है , ऐसा,  उस गरीब के लिए दो वक्त की रोटी जैसा 
कुछ लिखना है छोटा ..सुई की छेद की तरह ,
पर जिस का आकार हो ...हिमालय की चोटी जैसा |
कुछ लिखना है.. सीप में मोती जैसा ...
कुछ लिखना है , बंजर में बारिश की तलाश सा , समन्दर को मीठे पानी की प्यास सा 
कुछ लिखना  है , बूढी आँखों के लिए ...बेटे की आस सा
कुछ लिखना है मौत के लिए , जिन्दगी जैसा खास सा |  
कुछ ऐसा लिखना है की बंजर भूमि पर खुशियों की बरसात हो जाए  
ग़मों की आखरी रात हो जाए .....
......चंद शब्दों में ही सारी बात हो जाए ||

मेरे शब्दों को बेहद खास कर दे , 
आ इनमे अपने अहसास भर दे |

2 comments:

विभूति" said...

मेरे शब्दों को बेहद खास कर दे ,
आ इनमे अपने अहसास भर दे |bhaut hi khub su7rat liklha hai.....

Sonroopa Vishal said...

ameen !

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