(पंडित अभिनव जी कृत)
रेल चली भाई रेल चली, दो पहियों की रेल चली
अजब अनोखी रेल चली, रेल चली भाई रेल चली |
ये गाडी है बड़ी निराली बड़ी तेज़ रफ़्तार है,
नाम है जीवन एक्सप्रेस जिसमे दुनिया सवार है,
तरह तरह के डिब्बे इसमें आगे पीछे खड़े हुए,
सबका नाम देह और तन है एक दूजे से जुड़े हुए,
मौत के इंजन से, सांस के इंधन से, दौड़ रही है गली गली,
रेल चली भाई रेल चली.......
सुख और दुःख की दो पटरी है जिन पर गाडी भाग रही,
एक सवारी नाम आत्मा एक डिब्बे से झांक रही,
पहला स्टेशन बचपन है बड़ा ही सुन्दर प्यारा,
खेल खिलोने जहाँ बिखरते अजब तरह का नज़ारा,
देख खेल खिलोने रे लगा मुशाफिर रोने रे,
इस रोने हँसने में गाडी धीरे से फिर सरक चली,
रेल चली भाई रेल चली............
अगला स्टेशन जो आया इसका नाम जवानी,
प्यास लगी पेसेंजर उतरा नीचे पीने पानी,
तभी एक और यात्री प्लेटफ़ॉर्म पर आया,
उसको भी डिब्बे में फिर इसने बिठलाया,
साथी में ये ऐसा खोया खेल खिलोने भूल गया,
इस जोड़े को लेकर गाडी तेज़ी से फिर निकल चली,
रेल चली भाई रेल चली.............
आगे को जरा और चली तो डिब्बे में एक शोर हुआ,
एक नन्हा सा और यात्री दोनों के संग और चढ़ा,
तभी तीसरे स्टेशन का सिग्नल इन्हें नजर आया,
नाम बुढ़ापा था जिसका कुछ उजड़ा उजड़ा सा पाया,
गति ट्रेन की मंद हुई खिड़कियाँ सारी बंद हुई,
असमंजस में पड़ा मुशाफिर गाडी फिर भी सरक चली,
रेल चली भाई रेल चली.............
आगे को जरा और चली तो एक बड़ा जंक्सन आया,
पहला यात्री बाहर को झाँका था श्मशान लिखा पाया,
पहला वाला यात्री बोला मुझको यही उतरना है,
ये वो स्टेशन है जहाँ से गाडी मुझे बदलना है,
साथी रोवे खड़े खड़े मिस्टर कौशिक उतर पड़े,
छोड़ के तन को निकली आत्मा दूजी गाडी बैठ चली,
रेल चली भाई रेल चली दो पहियों की रेल चली ||
( चित्र गूगल से साभार )
8 comments:
jeevan ka chal chitra bayan karti khubsurat panktiyan
badhai !! :)
bahut sundar kavita likhee hai aapne , jeevan kaa puraa chitraa hee kheench diyaa hai
teen chaar baar ye kavitaa padhee maine
mrityunjay kumar rai
http://madhavrai.blogspot.com/
पूरी जिंदगी का सफ़र सामने रख दिया आपने तो..... बहुत ही अच्छी और सच्ची रचना ...... यही जीवन है......
thankz for sharing theis beautiful post...
Very nice parallel with Train & life
I am new here, glad to join you.
यही सच है
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