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Wednesday, December 30, 2009

नया साल

क्या खोया क्या पाया इसका हिसाब क्यों है ?

मन वो ही, हम वो ही, वो ही रूह है ॥

फिर भी साल बदलने के साथ ही

सूरत ऐ हाल बदलने का दिल करता है

नयी उम्मीदों और नए सपनो को पंख लग जाते है

बुरे अहसासों को भूल जाने का दिल करता है ॥

कुछ ज्यदा बदलने वाला नहीं है

घडी के काटों और कलेंडर के पन्ने बदलने से

फिर भी आँखों में नए ख्वाब से क्यों है ?

क्या खोया क्या पाया इस का हिसाब क्यों है?!!

चलो ढलते हुए सूरज के साथ हम भी अपने
बुरे वक़्त को छोड़ चले पीछे ॥
और आने वाले साल मै कुछ नयी खुशियों का स्वागत करे
आज हमारा भी मन पुराणी बोटेल में नयी शराब सा क्यों है ?

क्या खोया क्या पाया इसका हिसाब क्यों है ?

हैप्पी न्यू इयर २०१०

2 comments:

संजय भास्‍कर said...

हैप्पी न्यू इयर २०१०

संजय भास्‍कर said...

behtreen..........

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