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Thursday, July 9, 2009

तेरा मिलना

मेरा गम कम हो जाता है जब तुझ से आ के मिलता हूँ में
मन हल्का आँखे नम हो जाती है जब तुझ से आके मिलता हूँ में ॥

तू मेरे गम को बाँट लेता है ..कितना भी छुपाऊ तू अपना हिस्सा छाँट लेता है
खुदा का अहसास जमीन पे होता है जब तुझ से आ के मिलता हूँ में ॥

कभी लगता है तुझ से मेरा रिश्ता ही क्या है ....
तुझ को मुझ मे ऐसा दिखता ही क्या है ....
मे ख़ुद को अच्छे से जान लेता हूँ जब तुझ से आ के मिलता हूँ मे ॥

जिन्दगी की इस भाग दोड़ मे जीना भूल गया था ...
आँसूओ का समन्दर था..... हँसना भूल गया था ...
खुशी के चार पल जी लेता हूँ जब तुझ से आके मिलता हूँ मे ॥

मुझे जीना सीखा कर खुशी की राह दिखा कर
अब छोड़ न देना मझधार मे ....
तुझ से बिछड़ने का डर रहता है जब तुझ से आ के मिलता हूँ मे ॥

1 comment:

EKTA said...

sachha pyar aisa hi hota hai.....

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