
पापा आज आपकी बहुत याद आ रही है...
मेरे देश की फिजा बदली बदली सी है आज कल
लगता है ये भी पश्चिम से हो कर के आई है
हमारे साधू महात्मा , इंसान भी नहीं रहे ,
भगवान दिखने वाली आँखों में … वासना छाई है !!
हम कितने भोले है किसी को भी भगवान बना देते है ,
आडम्बर और पाखंड की ये हमने कोनसी दुनिया बसाई है ?
लगता है हवा पश्चिम से हो कर के आई है !!
महिलाओ को आरक्षण दिलाने की होड़ में सारे पुरुष लग गए ॥
अकेली महिला फिर भी पुरुषो की हवस से कहा बच पायी है !!
सर पे पल्लू ढकने वाली भारतीय महिला के तन ढकने को पूरे कपडे नहीं है ,
शर्म हया आँखों से गायब है .. ये संस्कृति हमने कहा से अपनाई है ?
लगता है हवा भी पश्चिम से हो कर के आई है !!
दूध की नदियाँ बहाने वाले भारतवासियों के तन में अब नकली है खून भी .
पिज्जा बर्गर खाने वाले मस्त है ..दो वक़्त रोटी खाने वालो के लिए कमर तोड़ महंगाई है
सोने की चिड़िया तो उड़ गयी कब से ही.... इस आधुनिकता ने तो भारत माँ की रातो की नींद भी उड़ाई है ॥
मेरे देश की फिजा बदली बदली सी है आज कल
लगता है ये भी पश्चिम से हो कर के आई है॥