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Sunday, May 25, 2014

Pyar-ek saza

प्यार के एहसास से , उसके हर जज़्बात से नफरत है 
इश्क़ के गवाह हर इक गुलाब से नफरत है 
साथ जो बिताये तेरे हर इक पल की कसम 
अब उस वक़्त का ख्याल से नफरत है 
बेरुखी को तेरी अदा मान मोहब्बत की हमने 
खुद को सज़ा देने के इस अंदाज़ से नफरत है 
दर्द-ए-इश्क़ की इन्तहा ही है शायद कि 
आज हमे अपने आप से नफरत है.। 

Thursday, May 22, 2014

बस यूँही जन्म लेने से एक दिन पहले :)



न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)
थकी मांदी  सी रात है , मन मौजी सहर है 
मैं जिस से भी मिला , अपना बन कर मिला 
फिर भी जाने क्यों अब तक अंजाना ये शहर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

मैं जिन से दिल से जुड़ा , उनसे कभी न रूठा 
और जिस से दिल से रूठा , फिर उससे कभी न जुड़ा 
फूलों वाला जो दरख्त दीखता है दूर से 
असल में वो काटों वाला "शजर" है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

पूरी है जिंदगी पर प्यार अभी भी बाकी है 
उस एक नशे को खोजता अब तक ये साकी है 
मुकम्मल है आईना  मेरा, कुछ चेहरों पर फिर भी नजर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

मेरे बहीखाते को मत रखना तुम देर तक सवालों में 
दो आँखों का  सुकून  और चार लबों पर खुशियाँ 
बस यही  जोड़ा है, गुजरे हुए सालों में। .. :)
जब वो रोती आँखों से मुस्करा देते है, हमें याद कर 
तभी झूमती गाती  अपनी भी सहर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)

और चलते चलते 
के अब तक रखा है , आगे भी साथ रखना 
अपनी हर दुआ में , मुझे याद रखना 
खुश हूँ अब तक क्यूंकि आप की दुआओं में बड़ा असर है 
न मंजिल का पता है, न रास्तों की खबर है ;)



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