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Friday, May 6, 2011

"माँ" HAPPY MOTHER'S DAY


"माँ" एक रिश्ता नहीं एक अहसास है
भगवान
मान लो या खुदा , खुद वो माँ के रूप में हमारे आस पास है
इस एक शब्द में पूरे जीवन का सार समाया है
जब भी रहा है दिल बैचेन मेरा , सुकून इसके आँचल तले ही पाया है ||
पलकें भीग जाती है पल में ......."माँ" को जब भी याद किया है तन्हाई में ,
जब भी पाया है खुद को मुश्किलों से घिरा, साथ दिखी है वो मुझे मेरी परछाई में ||

न जाने कौन सी मिट्टी से "माँ" को बनाया है ऊपर वाले ने ....
कि वो कभी थकती नहीं , कभी रूकती नहीं ,
उसे अपने बच्चों से कभी शिकायत नहीं होती ...
आसुओं का सैलाब है भीतर ,पर आँखों से वो कभी नहीं रोती ||
उसे टुकड़ा -टुकड़ा हो के भी , फिर से जुड़ना आता है ,
अपने लिये कुछ किसी से, नहीं उससे माँगा जाता है ||
कितना भी लिखो इसके लिये कम है , सच है ये कि "माँ" तू है, तो हम है ||

बड़े खुशनसीब है वो जिन के सर पर माँ का साया है
और बड़े बदनसीब है वो जिन्होंने अपनी माँ को ठुकराया है
मुझे दौलत नहीं चाहियें , शोहरत नहीं चहिये , न चाहियें मुझे वरदान कोई
मुझे चाहियें "माँ" के चेहरे पे सुकून के दो पल और उसके होटों पे मुस्कान ||
करना चाहूँगा में कुछ ऐसा कि मेरे नाम से मिले मेरी माँ को पहचान ||
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