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Tuesday, April 5, 2011

मेरा इंतजार...


ऐ डाकिये मुझे उस घर का पता बता दे , जिस घर के कागज कलम को आज भी मेरा इंतजार है
जा ,ये ख़त उस तलक पहुचां दे , जिस को अब तक मेरे आने का ऐतबार है ||
अब पतझड़ के पत्तो को हवा दे , रुकी इंतज़ार कि घड़ियों को अब तो चला दे |
जा उसको मेरा पैगाम दे , जो झरोखे से झांकती... तेरे अक्स में , कर रही मेरा दीदार है ||
जा ,ये ख़त उस तलक पहुचां दे , जिस को अब तक मेरे आने का ऐतबार है ||

तू जो गुजरेगा उसकी गली से, तो उसकी पायल मे भी खनक होगी
उसकी और बढ़ते तेरे कदम देख , उसकी आँखों में अजब सी चमक होगी ||
जा अब उसका पता लगा ले , जिस पे ज़माने कि हर खुशियाँ निसार है
जा ,ये ख़त उस तलक पहुचां दे , जिस को अब तक मेरे आने का ऐतबार है ||

कुछ अधूरे ख्वाब है , कुछ अधूरे हम , कुछ अधूरी खुशियाँ उसके बिना , कुछ पूरे गम ||
अब आईने को हँसना सिखा दे.., एक झलक उसकी दिखा दे , क्यों इंतज़ार ही हर बार है ?
जा ,ये ख़त उस तलक पहुचां दे , जिस को अब तक मेरे आने का ऐतबार है ||

उसने भी कभी कागज़ पे ... मेरी तस्वीर उकेरी होगी ....आड़ी- टेडी लकीरों से...
उसको भी कभी दुआ में, मिलें होंगे मेरे ख्वाब , आते - जाते फकीरों से ||
जा उसको अब बता दे , वो मेरा अनकहा सा, अनछुआ सा , अजीज प्यार है
जा ,ये ख़त उस तलक पहुचां दे , जिस को अब तक मेरे आने का ऐतबार है ||

9 comments:

संजय भास्‍कर said...

वाह ! विजय जी,
इस कविता का तो जवाब नहीं !
विचारों के इतनी गहन अनुभूतियों को सटीक शब्द देना सबके बस की बात नहीं है !
कविता के भाव बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढंग से संप्रेषित हो रहे हैं !

Unknown said...

its awesome.....u write so gud.....

कुश said...

गली से गुजरने पर पायल की खनक... बहुत अच्छा ख्याल है..

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (7-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Unknown said...

Vijay its realy awesome. . .
I love this poem. It's a beautiful way to express feelings. . .

Unknown said...

very nice..and deep

Sunil Kumar said...

सादगी और सच्चाई से कही गयी दिल की बात अच्छी लगी| बधाई.....

Richa P Madhwani said...

ऐ डाकिये मुझे उस घर का पता बता दे , जिस घर के कागज कलम को आज भी मेरा इंतजार है
khubsurat likha hai
http://shayaridays.blogspot.com

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