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Wednesday, November 17, 2010

अपील :- जियो और जीने दो..


ये उस बेजुबान जानवर की अपील है जो शायद यदि बोल सकता तो आज इन्सान को इंसानियत का पाठ पढाता उन्हें जियो और जीने दो सिखाता ...

मैं मस्जिद गया मुझे अल्लाह मिला , मंदिर गया भगवान मिला
इंसान की तलाश में जब भी निकला मुझे हर शख्स हैवान मिला !!
मुझे मार कर के ये, अपने इंसान होने का दम भरते है ?
इतना प्यारा है इन्हें तू , फिर अपने जिगर के टुकड़े को क्यों नहीं तेरे नाम करते हैं ?
मेरे खून से लिख रहा है आज हर शख्स खुशियों की इबारत ....
तेरे ही नाम पे हो कुर्बानी हमारी, तो कोंन करेगा हमारी इफाजत ?
आलम है अब ये, जब भी लिया तेरा नाम किसी ने, मेरा पूरा कुनबा परेशां मिला ...
जिस दर से जी जाते है मुर्दे , उसी पाक दर में मुझे मेरा क़ब्रिस्तान मिला
इंसान की तलाश में जब भी निकला मुझे हर शख्स हैवान मिला !!
ऐ खुदा ये अपील है मेरी, मुझे किसी भी जीवन में इंसान मत बनाना
में तेरा नाम ले कर के किसी का खून बहा नहीं सकता
ऐसे कुर्बान हो के में खुश कर रहा हूँ इन्हें..
इंसान बन के में किसी के काम आ नहीं सकता !!
लगता है यूँ , ये जीवन मुझे इनाम मिला ...
इंसान की तलाश में जब भी निकला मुझे हर शख्स हैवान मिला !!

Wednesday, November 3, 2010

मैं क्या दीया जलाऊँ....


मैं क्या दीया जलाऊँ , मेरा तो दिल जल रहा है
इस कद्र अँधेरे से मोहब्बत हो गयी ..रौशनी का त्यौहार आँखों को खल रहा है ...
मैं क्या दिया जलाऊँ , मेरा तो दिल जल रहा है ॥
राम का वनवास हो गया खत्म कब का ...
मेरा अब तक अग्निपरीक्षा का दौर चल रहा है
मैं क्या दिया जलाऊँ , मेरा तो दिल जल रहा है ॥
क्या खास बात है इस अमावस की रात में..?अपनी तो हर रात 'स्याह' है ॥
यहाँ तो हर दिन बड़ी मुश्किल से संभल रहा है
मैं क्या दीया जलाऊँ, मेरा तो दिल जल रहा है॥
मुठ्ठी भर खुशियाँ और दामन खाली हजार
एक दीपक है रोशन करने को और अँधेरे की भरमार
कितनी भी रौशनी दे वो , दीया तल भी अँधेरा मिल रहा है ॥
मैं क्या दीया जलाऊँ , मेरा तो दिल जल रहा है॥
महंगाई की भरमार मिलावट का संसार
कैसे में दीपक जलाऊँ ...न तेल न तेल की धार ..
इस माहोल में तो अब दम निकल रहा है
मैं क्या दीया जलाऊँ , मेरा तो दिल जल रहा है
*** HAPPY DIWALI ****
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