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Saturday, January 30, 2010

अपने पराये

हमने दूर से, करीब के रिश्तों को.. टूटते देखा है ,
अपनों को ...गैरो के लिए ...छुटते देखा है

अब तो अपनों की खुशियों से भी दूर रखा है खुद को
क्युकी अपनों से ही ...अपनों को... लुटते देखा है

तिजोरी में रखे चंद कागज़ के टुकडो के कारण,
हमने अपनों को ...बेवजह रुठते देखा है
अपने हो जाते है पराये चंद लकीरों से
हमने बचपन के सपनो को खुली आँखों से टूटते देखा है

दर्द है इतना दिल में, किसे दिखाए ये जख्म ?
अपनों को हमने आँखे मूंदते देखा है !!

तुम दूर रहे , और दिल से भी दूर हो गए
तुम्हारे इंतज़ार में अखियों को बार बार रूसते देखा है !
हमने दूर से करीब के रिश्तों को टूटते देखा है

Tuesday, January 26, 2010

एक कोशिश...

एक कोशिश की थी अपने प्यार को भूल जाने की,
उसके साए से निकल अपनी पहचान बनाने की,
लाख बहाने बना दिल को समझाया भी था,
और यादों को एक एक कर मिटाया भी था,
नयी शुरुआत की थी एक उम्मीद के साथ,
की मंजिल मिलेगी अब रास्ते के साथ
दो कदम अभी बढे ही थे की ऐसी ठोकर लग गयी,
जहाँ से चलना शुरू किया मैं फिर वहीँ पे आ गयी,
एक खबर जो सुनी उनकी तो दिल फिर धड़कने लगा,
याद करते हैं वो हमें हर पल,ये सुन तड़पने लगा
दोराहे पर आकर खड़ी हो गयी है जन्दगी अब,
एक ओर जाना मुश्किल तो दूसरा बेहिसाब सा है अब....

Sunday, January 10, 2010

क्यों..

एक सवाल पूछा किसी ने और हमारी हस्ती हिला दी,
ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई हमें याद दिला दी,
क्या जवाब दे और क्या कहें उनसे
जो पूछा है उन्होंने की क्यों प्यार करे हम तुमसे।
आंखे झुका कर चले आये वहां से
और लगे सोचने कि सोचना शुरू करें कहाँ से।
एक जवाब तलाशते हुए न जाने कब आँख लग गयी,
उधेड़बुन में रास्ता बनाते सब कड़ियाँ उलझ गयी।
नींद में भी कहाँ चैन था
वोही 'क्यों' हर पल झूलता रहा
और मैं अपने जीवन के सब पन्ने टटोलता रहा।
जब आँख खुली तो एक नयी सुबह हो गयी थी
पर मेरी ज़िन्दगी एक क्यों पर अटक गयी थी...

Saturday, January 2, 2010

नेट फ्रेंड्स

थोड़े तुम्हारे गम और थोड़े हमारे गम
यहाँ मिल के कुछ कर लिए है कम
कुछ खुशियों के पल बिता लिएकुछ अंखियों मे सपने सजा लिए
बिना चले ही आने वाले जीवन की कितनी बार राहें तय कर ली है !

तुम उस किनारे हम इस किनारे मिलें कैसे ? दूरियां है दरमियाँ !!
पर हमने अपनी सोच को एक ही दिशा मे ला के
शब्दों के माध्यम से चलते हुए कई बार ही अपनी मंजिल को पा लिया है !!
कोन कहता है की हमे मिलना जरूरी है इस रिश्ते को निभाने के लिए ?

ये आभास और अहसास के रिश्ते है !!
ये दुनिया वालो की समझ मे आसानी से नहीं आने वाले !
क्योंकी ये मतलबी लोग तो बिना मतलब के अपनों को भी नहीं पूछते है !!

और हम यहाँ बिना कुछ पाने की चाह रखे,
तुम्हारे कुछ गम में डूबें शब्दों को अपनी आँखों से बहा रहे है !!

कोन कहता है की शब्द बदलने से जिन्दगी नहीं बदलती ?
हमने तो शब्दों के माध्यम से ही ........
जीवन का आदान प्रदान कर लिया है
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